चारित्रेण च को युक्तस्सर्वभूतेषु को हित: ।
विद्वान्क: कस्समर्थश्च कश्चैकप्रियदर्शन: ।।
क: who?,
चारित्रेण with good conduct,
च and
क: who?
युक्त: is endowed,
सर्वभूतेषु for all living beings,
क: who?,
हित: benefactor,
विद्वान् learned man
क: who?,
क: who?,
समर्थ: च competent
क: who?
एकप्रियदर्शन: च solely delightful in appearance to everyone,
राम , हरि, पति, सखि, गुरु , दातृ , पितृ, रै गो ग्लौ
जलमुच वणिज राज मरुत पचत धीमत महत सुहृद राजन आत्मन श्वन
युवन मघवन पथिन करिन विश तादृश द्विष वेधस श्रेयस विद्वस
पुंस दोस लिहू
रमा मति नदी श्री स्त्री धेनु वधु भू स्वसृ मातृ
वाच स्रज शरद क्षुद सीमन अप ककुभ गिर
दिव निश दिश भास् आशिस उपानह
फल वारि दधि शुचि मधु गुरु दातृ
सुवाच असृज जगत ददत तुदत पचत महत हृद
नामन कर्मन अहन गुणिन वार तादृश सुत्विष
मनस हविस वपुस तास्तिवास अम्भोरुह
विद्वान्क: कस्समर्थश्च कश्चैकप्रियदर्शन: ।।
क: who?,
चारित्रेण with good conduct,
च and
क: who?
युक्त: is endowed,
सर्वभूतेषु for all living beings,
क: who?,
हित: benefactor,
विद्वान् learned man
क: who?,
क: who?,
समर्थ: च competent
क: who?
एकप्रियदर्शन: च solely delightful in appearance to everyone,
पुंलिङ्ग:
राम , हरि, पति, सखि, गुरु , दातृ , पितृ, रै गो ग्लौ
जलमुच वणिज राज मरुत पचत धीमत महत सुहृद राजन आत्मन श्वन
युवन मघवन पथिन करिन विश तादृश द्विष वेधस श्रेयस विद्वस
पुंस दोस लिहू
स्त्रीलिङ्ग
रमा मति नदी श्री स्त्री धेनु वधु भू स्वसृ मातृ
वाच स्रज शरद क्षुद सीमन अप ककुभ गिर
दिव निश दिश भास् आशिस उपानह
नपुंसकलिङ्ग
फल वारि दधि शुचि मधु गुरु दातृ
सुवाच असृज जगत ददत तुदत पचत महत हृद
नामन कर्मन अहन गुणिन वार तादृश सुत्विष
मनस हविस वपुस तास्तिवास अम्भोरुह
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